स्वामी समर्थांची आरती PDF | Shree Swami Samarth Aarti PDF

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स्वामी समर्थांची आरती PDF | Shree Swami Samarth Aarti PDF | Shree Swami Samarth Aarti PDF Download | Shree Swami Samarth Aarti Lyrics | Shree Swami Samarth Aarti Download

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स्वामी समर्थांची आरती PDF Details (Shree Swami Samarth Aarti PDF)

Name of PDFस्वामी समर्थांची आरती PDF | Shree Swami Samarth Aarti PDF
LanguageHindi
No of Pages6
PDF Size197 KB
Source/Creditspdfkaro.com

श्री स्वामी समर्थ जी की आरती करने के लाभ?

श्री स्वामी समर्थ जी की आरती करने से हमें अनेक लाभ हो सकते हैं। निम्नलिखित कुछ लाभों को आप देख सकते हैं:-

  1. मन की शांति: श्री स्वामी समर्थ जी की आरती का पाठ करने से हमारे मन में शांति मिलती है और हम तनाव से मुक्त होते हैं।
  2. सुख और समृद्धि: श्री स्वामी समर्थ जी की आरती का पाठ करने से हमें सुख और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
  3. आशीर्वाद: श्री स्वामी समर्थ जी की आरती करने से हमें उनका आशीर्वाद मिलता है जो हमारे जीवन में समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है।
  4. ध्यान और अध्ययन: श्री स्वामी समर्थ जी की आरती का पाठ करने से हमारा ध्यान और अध्ययन बढ़ता है और हमें अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
  5. आत्मविश्वास: श्री स्वामी समर्थ जी की आरती का पाठ करने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है और हम अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मजबूत हो जाते हैं।

इसके अलावा, श्री स्वामी समर्थ जी की आरती का पाठ करना हमें उनकी उपासना का अवसर देता है और हमें उनके श्रद्धालु भक्त बनने की संभावना प्रदान करता है। यह हमारे आध्यात्मिक विकास और स्वरूप के प्रति भी सहायता करता है।

Shri Swami Samarth Aarti Lyrics

जय जय सद्-गुरु स्वामी समर्था,
आरती करु गुरुवर्या रे।
अगाध महिमा तव चरणांचा,
वर्णाया मति दे यारे॥धृ॥

अक्कलकोटी वास करुनिया,
दाविली अघटित चर्या रे।
लीलापाशे बध्द करुनिया,
तोडिले भवभया रे॥१॥

यवन पूछिले स्वामी कहाॅ है,
अक्कलकोटी पहा रे।
समाधी सुख ते भोगुन बोले,
धन्य स्वामीवर्या रे॥२॥

जाणिसे मनीचे सर्व समर्था,
विनवू किती भव हरा रे।
इतुके देई दीनदयाळा,
नच तव पद अंतरा रे॥३॥

आरती 2:

जयदेव जयदेव श्री स्वामी समर्था
आरती ओवाळू चरणी ठेवूनिया माथा !!
जयदेव जयदेव..!!

छेली खेडेग्रामी तू अवतरलासी,
जगदुध्दारासाठी राया तू फिरसी
भक्त वत्सल खरा तू एक होसी,
म्हणूनी शरण आलो तुझिया चरणांसी !!
जयदेव जयदेव..!!

त्रैगुण परब्रम्ह तुझा अवतार,
याची काय वर्णू लीला पामर
शेषादीक शिणले नलगे त्या पार,
तेथे जडमूढ कैसा करु विस्तार !!
जयदेव जयदेव..!!

देवाधिदेव तू स्वामीराया,
निर्जर मूनिजन ध्याती भावे तव पाया
तुजसी अर्पण केली आपली ही काया,
शरणागता तारी तू स्वामीराया !!
जयदेव जयदेव..!!

अघटित लीला करुनी जडमूढ उध्दरीले,
किर्ती ऐकुनी कानी चरणी मी लोळे.
चरण प्रसाद मोठा मज हे अनुभवले,
तुझ्या सूता नलगे चरणावेगळे !!
जयदेव जयदेव..!!

आरती 3:

आरती स्वामी राजा।(२)
कोटी आदित्यतेजा। तु गुरु मायबाप।
प्रभू अजानुभुजा। आरती स्वामी राजा॥धृ॥

पुर्ण ब्रम्ह नारायण।(२)
देव स्वामी समर्थ। कलीयुगी अक्कलकोटी।
आले वैकुंठ नायक। आरती स्वामी राजा॥१॥

लीलया उध्दरिले।(२)
भोळे भाबडे जन। बहुतीव्र साधकासी।
केले आपुल्या समान। आरती स्वामी राजा॥२॥

अखंड प्रेम राहो।(२)
नामी ध्यानी दयाळा। सत्यदेव सरस्वती।
म्हणे आम्हा सांभाळा। आरती स्वामी राजा॥३॥

आरती 4:

जय देव जय देव, जय जय अवधूता, हो स्वामी अवधूता।
अगम्य लीला स्वामी, त्रिभुवनी तुझी सत्ता।।
जय देव जय देव॥धृ॥

तुमचे दर्शन होता जाती ही पापे।
स्पर्शनमात्रे विलया जाती भवदुरिते।
चरणी मस्तक ठेवूनि मनि समजा पुरते।
वैकुंठीचे सुख नाही या परते।।
जय देव जय देव॥१॥

सुगंध केशर भाळी वर टोपी टिळा।
कर्णी कुंडल शोभति वक्षस्थळी माळा।
शरणागत तुज होतां भय पडले काळा।
तुमचे दास करिती सेवा सोहळा।। जय देव जय देव॥२॥

मानवरुपी काया दिससी आम्हांस।
अक्कलकोटी केले यतिवेषे वास।
पूर्णब्रम्ह तूची अवतरलासी खास।
अज्ञानी जीवास विपरीत भास।। जय देव जय देव॥३॥

र्निगुण र्निविकार विश्वव्यापक।
स्थिरचर व्यापून अवघा उरलासी एक।
अनंत रुपे धरसी करणे नाएक।
तुझे गुण वर्णिता थकले विधीलेख।।
जय देव जय देव॥४॥

घडता अनंत जन्मे सुकृत हे गाठी।
त्याची ही फलप्राप्ती सद्-गुरुची भेटी।
सुवर्ण ताटी भरली अमृत रस वाटी।
शरणागत दासावर करी कृपा दृष्टी।।
जय देव जय देव॥५॥

Conclusion

इस पोस्ट में हमने आपके साथ स्वामी समर्थांची आरती PDF, Shree Swami Samarth Aarti PDF साझा किया है, आशा है कि यह पोस्ट आपके लिए मददगार साबित होगी।

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